Sunday, August 4, 2019

मितवा


भीग जाना‌ ×3 , हमें भीग जाना।
आशिकी में हमें डूब जाना।
भीग जाना‌ , हमें भीग जाना।

आपसे जो मिला, कर्ज जो प्यार का,
बड़ा मुश्किल है उसको चुकाना।
इस जमीं से उठाया हमें आपने,
हमको भी आपको है उठाना।।१।। 

आज कागज़ की कश्ती को लेकर,
उस किनारे तलक हमको जाना।
है ये लम्बा सफर, साथ तेरे मगर,
दूर तक है हमें चल के जाना।।२।। 

दर्द होगा अगर, कष्ट होंगे मगर,
तुम हमारी दवा बनके आना।
कितनी भी दूरियां, होंगी मजबूरियाँ।
बस हमारे लिए मुस्कुराना।।३।।

कैद करना तुम्हें चाहता हूं,
फिर से जीना वही चाहता हूं।
अल्हड़ सी हस्तियां, दिन की सब मस्तियां।
ऐ पल तू ज़रा ठहर जाना।।४।।

ठोकरों में तुम्हारी जमाना।
याद आना ,हमें याद आना।
बनके रब की दुआ बरस जाना।
भीग जाना‌ , हमें भीग जाना।।५।।

रचनाकार- निखिल देवी शंकर वर्मा " गिरिजा शंकर"
कार्यरत - भारत मौसम विज्ञान विभाग,
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार।
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