Wednesday, December 6, 2023

भूख

 माँगता हूँ हे प्रभु तुमसे वही,

सामर्थ्य देना मुझको गर हो सके।

बाँट लूं हिस्से का अपना वो भोजन।

रात को ताकि; कोई न भूखा सो सके।।



मैं निकलकर महलों की जगमगाहट से,

छानता फिरता झुग्गियों की सुगबुगाहट में।

देखकर खाली कटोरी थाल पर,

रख दूँ अपनी रोटी उसकी दाल पर ।।


रचनाकार -निखिल वर्मा

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