"ज्ञान ज्योति प्रज्ज्वलित कर तुम,
नवशिक्षा का प्रसार करो।
अन्धकार से फैले भ्रम को,
विश्व-कुटुम्ब से दूर करो।।१।।
जन्मदिवस की वर्षगांठ पर,
ढ़ेरों तुम्हे बधाई हों।
मुस्कराहटों में हर पल गुज़रे,
हर रंग में खुशियां छाई हों।।२।।
गुण श्रेष्ठ प्रस्फुटित हों तुम में,
नित नव ऊँचा आकाश छुओ।
नवशिक्षा का प्रसार करो।
अन्धकार से फैले भ्रम को,
विश्व-कुटुम्ब से दूर करो।।१।।
जन्मदिवस की वर्षगांठ पर,
ढ़ेरों तुम्हे बधाई हों।
मुस्कराहटों में हर पल गुज़रे,
हर रंग में खुशियां छाई हों।।२।।
गुण श्रेष्ठ प्रस्फुटित हों तुम में,
नित नव ऊँचा आकाश छुओ।
हर दिवस प्रफुल्लित हो तुम से,
ऐसे ही सौ साल जियो।।३।।"
रचनाकार- निखिल देवी शंकर वर्मा "गिरिजाशंकर"
अध्ययनरत-लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
Copy right © 2018
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ऐसे ही सौ साल जियो।।३।।"
रचनाकार- निखिल देवी शंकर वर्मा "गिरिजाशंकर"
अध्ययनरत-लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
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