Sunday, January 21, 2018

ऐ दीपक तू जल........!

   अथक प्रयासों से मिली इस स्वतंत्रता की रक्षा में निरंतर सेवारत, सीमा पर डटे हुए उन भारतवीरों की तपस्या, त्याग, शौर्य, साहस तथा दृढ़ संकल्प से परिपूर्ण पतित-पावन कुर्बानी का मूल्य कभी चुकाया नही जा सकता है। उनकी कुर्बानी में अंतर्निहित भावना तो पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल जी की अंतिम पंक्तियों में ही जीवंत प्रतीत होती हैं:-
         "शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले।
       वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।।"
 ऐसे ही एक वीर सैनिक की घायलावस्था की भावनाओं का बखान करती व उसके द्वारा अपने प्राणरूपी दीपक को कर्त्तव्यों की पूर्ति हेतु जलाए रखने का अनुरोध करती ३०/१०/२०१६ को रचित मेरी यह कविता "ऐ दीपक तू जल....!" आपके समक्ष प्रस्तुत है:-

ऐ दीपक तू जल......! 
तपा लौह सा मुझको अग्नि में,
आकाश नियंत्रित करने को, पाताल नियंत्रित करने को।
हर काल नियंत्रित करने को, जयमाल अलंकृत करने को।
ऐ दीपक तू अब जल......!   ।।१।।

प्राण चाहते कठिन निमंत्रण,
फिर तू क्यों करता है छल,
ऐ दीपक तू अब जल......!   ।।२।।

सांसों का हमको मोह नहीं,
कुछ न पाया पर क्षोभ नहीं।
कर्त्तव्य-पथ पर बलि जाने को,
देकर मुझको दो पल,
ऐ दीपक तू अब जल......!   ।।३।।

अगणित-अगणित दीप जलाने,
तम के काल सदा को बनने।
झिलमिल-झिलमिल नयनों से,
अंठखेलीं करता चल।
ऐ दीपक तू अब जल.......!  ।।४।।

राहों में मित्र खड़े अपने हैं।
राखी को फिर वो हाथ बढ़े अपने हैं।
दो बूढ़ी सी ओझल नजरें भीं,
व्याकुल सी देख रही सपने हैं।
उन सबसे विदा मांगने को,
क्या तू देगा एक कल।
ऐ दीपक तू अब जल......!    ।।५।।

सज्जा से स्वयं पुकार रहीं।
लज्जा से पुनः विचार रही।
उन रोती सी तरसती आंखों से भी,
मिलने को दो एक पल।
ऐ दीपक तू अब जल......!     ।।६।।

आलोकित करता चल राहों को,
हर वीर सदा अब बढ़ा चले।
हर अश्रु नयन का क्षमा करे।
जय हिन्द बोलकर धड़कन,
फिर से एक बार पुकार करे,
थोड़ी तो कर हलचल।
ऐ दीपक तू .............😢‌.............अब जल....! ।।७।।

रचनाकार-निखिल देवी शंकर वर्मा
अध्ययनरत-लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
e-mail: nverma161094@gmail.com
© Copy right 2018
All rights reserved.






10 comments:

  1. बहुत सुन्दर

    भाव भी भाषा भी

    प्रणाम
    जय हिन्द जय भारत

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    Replies
    1. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
      गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
      प्रणाम।
      जय हिन्द! जय भारत!

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