Wednesday, November 27, 2024

महासमर

साधना के शिखर पर,

मौन हो‌, भीषण समर में ।

मन चाप की प्रत्यंचा संभाले,

है खड़ा अंतिम धनुर्धर ।

अनवरत चलते शरों का,

दृश्य है अभिराम।

है नियत नियति का यह,

निष्ठुर महासंग्राम ।।


कुछ हारने का भय लिए,

उम्मीद कुछ, अवसर लिए।

कुछ प्रश्न जीवन के समेटे,

घाव‌ कुछ, हिय में लपेटे ।

शून्यता के बाण लेकर,

लड़ रहा अविराम।

है नियत नियति का यह,

निष्ठुर महासंग्राम।।


विश्व को कल्याण देती,

कृष्ण की छाया मिलेगी ।

या विवशता में निरंतर,

भीष्म-सी काया मिलेगी ।

युद्ध के परिणाम से,

प्रतिक्षण है वह अनजान।

है नियत नियति का यह,

निष्ठुर महासंग्राम ।।


रचनाकार - निखिल वर्मा 

मौसम केंद्र लखनऊ,

भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार।

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