Monday, May 12, 2025

चिरशान्ति का युद्ध


शान्ति प्रस्तावों के समर्थक,

विकृत नीतियों को पुनः गढ़ लें।

रश्मि के रथी से दहकते;

'कुरुक्षेत्र' के दिनकर ; वो पढ़ लें ।।१।।


विद्वत्ता का दंभ रखते।

हैं जो सशंकित देश...सुन लें ।

धम्म-पथ की त्रिपिटिका;

और गीता का अंतर समझ लें ।।२।।


श़मा की...लपटों में जलते,

हम पतंगों को हारना है।

तिमिर के अनुचरों का; 

जीवन यदि स्वीकारना है ।।३।।


युद्ध की संभावना में,

शान्ति कैसे हम वो चुन लें ?

युद्ध की हठ कर वह बैठा;

हम बुद्ध की उंगली पकड़ लें...? ।।४।।


रचनाकार- निखिल वर्मा 

तरंगिणी - श्रृंखला '२'

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