Wednesday, September 5, 2018

मेरी प्रथम शिक्षिका - मेरी ' मां '


माँ, मैं सकता कैसे भूल?
तुमने चलना सिखलाया।
अक्षर-अक्षर जोड़-जोड़ कर,
मुझको पढ़ना सिखलाया।।१।।

सामाजिक बंदिशें तोड़कर,
समरक्षेत्र में स्वयं उतरकर,
चक्रव्यूह में घायल इस,
अभिमन्यु को लड़ना सिखलाया।।२।।

माँ, मैं सकता कैसे भूल?
तुमने चलना सिखलाया।

-निखिल वर्मा 
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2 comments:

  1. Very nice Nikhil ji
    ह्रदय को द्दू जाने वाली कविता शानदार

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