Friday, October 13, 2023

क्या सब कुछ इतना आसान है ?

कुछ पाना , कुछ खोना ;

कुछ हँसकर , फिर से रोना ।

कुछ उम्मीदें , कुछ आशा ;

फिर इस पागल मन की निराशा।

लिखकर ; फिर  उसे मिटाना,

कुछ खुद को फिर समझाना।

इस बेचैनी से सब अनजान हैं।

क्या सब कुछ इतना आसान है ??? ।।१।।


कुछ चूड़ी , कुछ कंगन ;

कुछ धागे , कुछ बंधन ;

पलकों पर खुद बिठा लेना । 

उन छोटी-छोटी आँखों में,

सपनों की झील बना देना ।

एक याद बनाकर खुशियों की,

झटके  से उसे भुलाना ।

इस बेचैनी से सब अनजान हैं।

क्या सब कुछ इतना आसान है ??? ।।२।।


एक चन्दा‌, और कुछ तारें‌ ;

और कल-कल करता झरना।

कुछ दिन ढ़लने से पहले , बदली से ; 

सूरज का वो छिपना ।  

उस साँझ के धीरे-धीरे जाने की ;

बेचैनी से सब अनजान हैं।

क्या सब कुछ इतना आसान है ??? ।।३।।


रचनाकार: निखिल वर्मा

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