नीली छतरी के रखवाले ;
हम सबके तुम पालनहारे।
अगर सौंप दूँ , मैं तुमको ;
हृदयभाव की कुंजी अपनी।
तो क्या तुम आश्वस्त करोगे...?
मन से मेरे ; छल न करोगे....?
निश्छलता के मोती लेकर.....
कपट की माला में न पिरोओगे...?।।१।।
सुना बहुत है तुमको लेकर,
बहुत परखते पल-पल सबको ।
आज तुम्हें मैं परखूँगा ।
तब जाकर सब सौंपूँगा ।
गुण थोड़े जो ; वो भी तुम्हारे,
मेरे सारे दोष तुम्हारे ।
पुण्य दिए ; गर जो कुछ हैं भी,
मेरे सारे पाप तुम्हारे ।
रहम तुम्हारा, वहम तुम्हारा ।
मेरा सारा अहम् तुम्हारा ।।२।।
सतत प्रतीक्षा, सकल समीक्षा;
हर पल होती हुई परीक्षा,
में लेकर कोरा कागज़ बैठा अक्सर,
मैं अब भ्रम-जालों से दूर रहूँगा ।
जो कुछ था मेरा ; अब से वह,
करता हूँ बस तुम्हें समर्पित।
मेरे भोले-मन की चंचलता,
को आकर अब करो नियंत्रित ।।३।।
रचनाकार- निखिल वर्मा
मौसम केंद्र, लखनऊ
भारत मौसम विज्ञान विभाग ।
Copyright ©️ 2024. All rights reserved.
No comments:
Post a Comment