वक्त ठहरा ही रहे ; थोड़े जतन कर ,
मैं ज़रा कुछ सीख लूँ ; सूर्य के अनुभवों से ।
पक्षियों के घोंसलों में लौटने तक ,
शाम ढ़लने..........न देना बदलियों से ।
एक सयाना युवक ; बूढ़ा हो चला है कागज़ों में,
लगता है कि चूक हो गई है, पढ़ने में कोई ।
या विटामिन की कमी है ; पारखी नज़रों में सबकी।
आपकी वो कुर्सी जब कभी खाली होगी,
मेज पर कोई, कभी जब फाइल न होगी।
तब कभी बिल के विषय में पूछने को,
मैं अकेला आऊँगा..........याद आएगी ।।१।।
कुछ अनसुने किस्से, कुछ अनकही बातें।
कुछ फाइलों की जिल्द में, अनुभाग की यादें।
आफिस की जद्दोजहद में, कभी-कभी थक जाएंगे,
और ज़िन्दगी के अनुभवों को समेटे वृक्ष को,
जब न पास अपने पाएंगे.......याद आएगी ।।२।।
ज़िन्दगी के वसंतों में झूलते, पक्षी जो हम हैं,
बारिशों की चोट में, छप्परों की ओट को,
धूप में एक गांव की, नर्म शीतल छांव को,
और पतझड़ों में बहारें खोजने को,
जब कभी बाहर निकलकर आएंगे.....याद आएगी ।।३।।
कुछ बहुत बेचैन होगा मन कभी जब,
आपके अनुभवों की होगी जरूरत,
उलझी हुई बातें सुलझाने को,
बैठकर न मिल सकेंगे.....याद आएगी ।।४।।
मैं कहता तो हूँ अक्सर अकेले में,
कि सब संभाल लूँगा ।
पर जब स्वयं को संभालने की बात आएगी......
तब.........याद आएगी ।।५।।
आपके बिन जीएस की सूनी दीवारें,
चाय की चुस्की पर भी महक न पाएँगी ।
पान खाकर हमारे तिवारी सर की,
कुछ कहानियाँ भी अधूरी रह जाएँगी ........ याद आएगी ।।६।।
रचनाकार -निखिल वर्मा
कार्यरत- मौसम केंद्र लखनऊ
भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार।
Copyright ©️ 2024. All rights reserved.