पवन चली जब पुरवाई ,
कुछ आहट दी सुनाई है।
मोती बनकर आज बरसने,
घटा गगन पर छाई है ।।१।।
बाहर आकर जब देखा,
तब आँगन में चुगने दाना ।
दरवाजे पर नन्ही चिड़िया,
दस्तक देने आई है ।।२।।
स्वागत को कुछ फूल बिखेरे,
कहीं नवस्वर की शहनाई है।
कुछ दीप जलें हैं चौखट पर,
पलकों पर कई बधाई हैं ।।३।।
इतनी सुंदर किलकारी पर,
बगिया भी मुस्काई है।
अपने नन्हे पंखों से उड़ने,
परी गगन से आई है ।।४।।
रचनाकार -निखिल वर्मा
कार्यरत- मौसम केंद्र, लखनऊ
भारत मौसम विज्ञान विभाग,भारत सरकार।
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