अक्सर सोचता हूँ कि मुट्ठी में रेत भरकर पृथ्वी के अज्ञात बिंदु से अनंत तक चलता चला जा रहा मैं....जहाँ दूर तक न जीत की विजय पताका दिखाई देती है; न ही किसी हार की प्रत्याशा....बस है एक उम्मीद कि अपने साथ ले जा रहे बहुमूल्य रेत के कणों को क्या मैं सँभाल पाऊँगा ? समय बीतता गया और चलते-चलते रेत धीरे-धीरे मुट्ठी से रिसते हुए गिरती रही और मैं कणों को गिरता हुआ देखता रहा। कुछ कणों में भावुकता अधिक थी और उन्हें मुट्ठी से लगाव हो गया था। इसलिए उन्होंने पसीजे हाथों में स्वयं को जोड़कर रखा । यह मेरी कोई उपलब्धि नहीं है बल्कि यह तो उन अमूल्य कणों का बड़प्पन है जिनका साथ मुझे परिपक्व बनाता रहा।
जब भी मुट्ठी खालीपन का अहसास कराती मैं आस-पास किसी नदी की अविरल धारा में जल के साथ सरलता से बहने वाले उन अमूल्य कणों को तट पर उनके ठहराव के स्थान से उठाकर फिर मुट्ठी में भरकर आगे की ओर बढ़ चलता । पर.....फिर ! समय के साथ उन कणों में से भी कई कण धीरे-धीरे मुट्ठी से गिरते रहे। मैं यह सोचता था कि शायद इन कणों को मुट्ठी की ताकत और उसकी योग्यता का अहसास नहीं है । शायद मैंने उन्हें सहेजने की कोशिश न की.... नहीं ऐसा नहीं है.......कोशिश तो की....किंतु अपनी बनाई हुई एक सूक्ष्म और लघु छद्म सीमा तक क्योंकि इस सीमा के उस पार मैंने हठपूर्वक बैठा रखा है अपने अहं को....जो कहता रहता है कि मैं क्यों ?....मैं ही क्यों ? शायद यही अहं भाव रेत के उन कणों के बिखरने का कारण हो।
दिन गुजरा, शाम ढ़ली और फिर आई रात जब छत पर टहलते हुए एक सन्नाटा टकराता है....और कहता है कि देखो पूरब की ओर.....कल फिर एक नई सुबह होगी....कल फिर एक बहती नदी के तट पर अपनी मुट्ठी भर लेना उन योग्य अमूल्य कणों से जिनसे सीखने को बहुत कुछ है....जिनसे हारकर भी यदि साथ प्राप्त हो तो हज़ार मनीषियों की शरण के समान अनुभव हो । योग्यता के साधुत्व की वृद्धि सदैव अहं के भाव को नष्ट करने से होती है तथा इससे नेतृत्व क्षमता का विकास होता है। कल से थोड़ा मुस्कुरा देना, देखना इस बार मुट्ठी से रेत का एक भी कण नहीं गिरेगा।
तुम देने के लिए जन्मे हो...याचक से याचना की उम्मीद भी दाता का अहं भाव ही है। तुम निस्वार्थ होकर निश्छल मन से मुस्कुराते हुए रेत के हर उस कण का मान रखो जिसमें भले ही कार्यक्षमता या दक्षता एक निश्चित स्तर तक न हो परंतु धैर्य, साहस, साधकता और लगन अमूर्त रूप में विद्यमान हो।
रचनाकार - निखिल वर्मा
कार्यरत- मौसम केंद्र लखनऊ,
भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार।
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