फागुन की भीनी शुष्क बयार; ग्वालों की लम्बी टोली को।
प्रेम से अंग भिगोते; मेरे कान्हा संग हमजोली को।
रंगों में घुलती और बिखरती; शक्कर सी मीठी बोली को।
ढूँढ़ रही हैं ब्रज की अँखियाँ, बरसाने की होली को ।।१।।
संग उमंग, सुमंद तरंग ; चमन में खिलते सारे रंग।
लुब्ध भ्रमर, प्रसून सुगंध ; पवन से खुलते जाति बन्ध।
उन हृदयों की सुन्दरता को; बचपन की हँसी-ठिठोली को।
ढूँढ़ रही हैं ब्रज की अँखियाँ, बरसाने की होली को ।।२।।
वृक्ष विशाल, विहंग मराल ; कमल-पुट पर गूंजते मकरंद।
कूजती पिक, विकसते रसाल; सभी भरते जीवन में आनंद।
क्यूँ चंचल मन तू नहीं खोजता, अपनी भी रसमोली को।
ढूँढ़ रही हैं ब्रज की अँखियाँ, बरसाने की होली को ।।३।।
रचनाकार-निखिल वर्मा
अध्ययनरत- लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
© Copyright 2018. All rights reserved.
प्रेम से अंग भिगोते; मेरे कान्हा संग हमजोली को।
रंगों में घुलती और बिखरती; शक्कर सी मीठी बोली को।
ढूँढ़ रही हैं ब्रज की अँखियाँ, बरसाने की होली को ।।१।।
संग उमंग, सुमंद तरंग ; चमन में खिलते सारे रंग।
लुब्ध भ्रमर, प्रसून सुगंध ; पवन से खुलते जाति बन्ध।
उन हृदयों की सुन्दरता को; बचपन की हँसी-ठिठोली को।
ढूँढ़ रही हैं ब्रज की अँखियाँ, बरसाने की होली को ।।२।।
वृक्ष विशाल, विहंग मराल ; कमल-पुट पर गूंजते मकरंद।
कूजती पिक, विकसते रसाल; सभी भरते जीवन में आनंद।
क्यूँ चंचल मन तू नहीं खोजता, अपनी भी रसमोली को।
ढूँढ़ रही हैं ब्रज की अँखियाँ, बरसाने की होली को ।।३।।
रचनाकार-निखिल वर्मा
अध्ययनरत- लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
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Holi celebration with friends.
Ossom
ReplyDeleteThanks !!!🌹🏵🏵🌷
Deletehappy holi
ReplyDeleteBrother, Same 2 you and your family🌼🌼🌼🌼🏵🏵🌹🌹
ReplyDelete👏👏👏💐💐nice brother. ..
ReplyDeleteHappy holi
Thanks, brother and A very happy Holi to you and your family!
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