Wednesday, March 7, 2018

उम्मीदों का खेल-तमाशा !

sscexamscam

"श्रम से युक्त कर्म का फल,
जब छल-बल से छिन सकता है,
तब जन-मन की आंधी में,
सिंहासन तक हिल सकता है।।१।।

अब लाखों छात्र अधीर हो चुके,
सैलाब कहां रुक सकता है।
कलयुग के अंधे धृतराष्ट्र का भी;
चीर-हरण हो सकता है।।२।।"

रचनाकार-निखिल देवी शंकर वर्मा
अध्ययनरत-लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ।
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 All rights reserved.
e-mail : nverma161094@gmail.com


6 comments:

  1. बहुत बेहतरीन निखिल जी ..

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  2. बहुत धन्यवाद, आलोक भाई ।☺

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  3. The lamp has been lighted, soon the change will be seen and my India will be number 1 in human resources.

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  4. बहुत खूब🙌🙌

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