Wednesday, February 14, 2024

समापन

ज़मीं को मैं ज़मीं कह रहा हूंँ आज से,

कदम दर कदम चल रहा हूंँ नाप के।

जिन पंक्तियों को रच रहा था पल-पल सोचकर ,

उस कलम को रख रहा अब मैं आज से ।।

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