Wednesday, June 26, 2024

धीरे-धीरे !!!

सुमधुर, अतुलित निर्मल-शीतल ; धीमी सुखकर पवन चला दो।

शान्त कराने विचलित मन को , मैं आऊँगा.......धीरे-धीरे ।।१।।


बागों में हर अंतराल पर, कलियाँ कुछ चुन-चुन बिखरा दो,

महकाने अपने जीवन को , मैं आऊँगा........धीरे-धीरे ।।२।।


रेतीली भूमि के ऊपर , तुम पत्तों का महल बना दो ।

छाँव दिखाने तपते तन को, मैं आऊँगा........धीरे-धीरे ।।३।।


क़लम उठाकर पलकों की, जज़्बातों की स्याही भर लो,

लिखवाने कुछ पन्ने दिल के, मैं आऊँगा........धीरे-धीरे ।।४।।


रचनाकार -निखिल वर्मा

कार्यरत - मौसम केंद्र लखनऊ

भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार।

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