विघ्नों के तूफानों में भी,
तुम आस बनाए ही रखना।
दूर अँधेरे में आशा के,
कुछ दीप जलाए ही रखना....!
श्रम से प्राप्त आजादी में भी,
कुछ मूल्यों के बाँध सजाए रखना।
बरसातों के पानी से भी,
तुम नींव बचाए ही रखना।
कुछ दीप जलाए ही रखना....!
कुछ काँटों के जो ताज़ लिए।
कुछ कल के थे, कुछ आज लिए।
संघर्षों के गलियारों में भी,
तुम प्यार बढ़ाए ही रखना।
कुछ दीप जलाए ही रखना....!
यह अपना उपवन गुलशन है।
इसका हर आँगन पावन है।
तुम फुलवारी के हर फूलों का,
साथ निभाए ही रखना।
कुछ दीप जलाए ही रखना....!
एक दिन दुनिया के शीश मुकुट पर,
हम अपना तिरंगा लहरायेंगे।
तब तक लेकर सब हाथों में हाथ।
तुम कदम बढ़ाए ही रखना ।
कुछ दीप जलाए ही रखना....!
रचनाकार -निखिल वर्मा
कार्यरत - मौसम केंद्र, लखनऊ
भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार।
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