Wednesday, November 27, 2024

महासमर

साधना के शिखर पर,

मौन हो‌, भीषण समर में ।

मन चाप की प्रत्यंचा संभाले,

है खड़ा अंतिम धनुर्धर ।

अनवरत चलते शरों का,

दृश्य है अभिराम।

है नियत नियति का यह,

निष्ठुर महासंग्राम ।।


कुछ हारने का भय लिए,

उम्मीद कुछ, अवसर लिए।

कुछ प्रश्न जीवन के समेटे,

घाव‌ कुछ, हिय में लपेटे ।

शून्यता के बाण लेकर,

लड़ रहा अविराम।

है नियत नियति का यह,

निष्ठुर महासंग्राम।।


विश्व को कल्याण देती,

कृष्ण की छाया मिलेगी ।

या विवशता में निरंतर,

भीष्म-सी काया मिलेगी ।

युद्ध के परिणाम से,

प्रतिक्षण है वह अनजान।

है नियत नियति का यह,

निष्ठुर महासंग्राम ।।


रचनाकार - निखिल वर्मा 

मौसम केंद्र लखनऊ,

भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार।

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Friday, November 1, 2024

क्षितिज

क्षितिज...... पृथ्वी की गहराईयों को आकाश की ऊँचाईयों से चूमता सुदूर स्थिति वह स्थान जहाँ साहित्यिक दृष्टि से नायक - नायिका के सुंदर मिलन के प्राकृतिक मनोरम दृश्य का अनुभव रस पान नेत्रों द्वारा किया जा सकता है । वहीं, दूसरी ओर यथार्थवादी चिंतन शिविर में इस स्थान को आकाश की ऊँचाईयों को प्राप्त करने पर भी जमीन की गहराईयों से जुड़े रहने के लिए एक दृष्टांत के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा है।

उस बिंदु पर आकाश अपने सारे गुणों और अपने सभी कीर्तिमानों एवं उपलब्धियों को लेकर पृथ्वी की अथाह गहराईयों में इस तरह समा जाने को व्याकुल सा प्रतीत होता है कि एक विशाल शून्यता प्रतिलक्षित होती है। ऐसी अवस्था में जब प्रातः काल की सुन्दर बेला में सूर्य स्वर्ण मरीचियों को आदेश देकर अपनी अरुणिमा से संपूर्ण वातावरण में प्रकाश भरता है तो ऐसे दृश्य को देखकर महादेव को छोड़कर कौन अपनी आँखें मूँद रख सकता है! सूर्य की‌ वे स्वर्ण मरीचियाँ जब अरुण देव के रथ पर सवार होकर हरे‌ भरे वृक्षों को चीरती हुई किसी घास पर लेटी हुई ओस की बूँद पर पड़ती हैं तब प्रकीर्णन से सतरंगी इंद्रधनुष के सभी रंग प्रकृति में इस प्रकार बिखेर देती हैं जैसे अपनी कला का प्रदर्शन करने को आतुर कोई नया चित्रकार तूलिका से कागज़ पर रंग बिखेर देता है।

क्षितिज कल्पना का स्थान मात्र नहीं है; वह आशाओं, आकांक्षाओं और अभिलाषाओं का संगम है जो मनुष्य को मानसिक एवं भावात्मक रूप प्रौढ़ कर एक विशेष पूर्णता प्रदान करता है।

मौसम केंद्र लखनऊ की पत्रिका "क्षितिज" का स्वरूप भी इन्हीं सब‌ विचारों को‌ ध्यान में रखकर किया गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग का यह कार्यालय उस पथ पर अग्रसर है कि हमें न केवल नवीन तकनीकों, अन्वेषणों एवं ज्ञान-विज्ञान के उन्नत विचारों से मौसम विज्ञान को आकाश की ऊँचाईयों तक पहुँचाना है अपितु इस सागर मंथन से प्राप्त अमृत का पान जन मानस से जुड़कर कराते रहना है। हमारा उत्थान विश्व के कल्याण के लिए हो ऐसी आकांक्षा लेकर हम सदैव मानव कल्याण एवं प्रकृति के लिए समर्पित हैं।


नित लिए समर्पण चलते जाना,न पथिक‌ यहाँ विश्राम।

लेकर अपनी ज्ञान वाहिनी,जन सेवा में अविराम।

धरा जहाँ पर मिले गगन से,‌ हर जन का हो कल्याण।

स्वर्ग सुसज्जित क्षितिज वहाँ है,ज्योतिर्मय अभिराम।


क्षितिज पत्रिका पाठकों को न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि रुचिकर साहित्य से बाँधकर रखने को प्रतिबद्ध है। मौसम केंद्र अपनी पत्रिका के सभी पाठकों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए उनकी उन्नति की मंगलकामना करता है।