मैं चलता रहूँगा इस पथ पर,
यह साथ तुम्हारा हो न हो।
इस तपती हुई दोपहरी में,
बरसात कहीं पर हो न हो ।।१।।
सदियों से समेटे कुछ पल को,
यह साँझ दोबारा हो न हो।
वह याद बहुत मुस्काती है,
कुछ बात दोबारा हो न हो ।।२।।
मैं धीमे चलता हूँ अक्सर,
कदमों की आहट हो न हो।
धड़कन बढ़ती कुछ बातों में,
थोड़ी घबराहट हो न हो ।।३।।
कुछ रुकता हूँ, कुछ चलता हूँ ।
गति मेरी निरन्तर हो न हो।
कुछ कहता हूँ, कुछ सुनता हूँ।
वचनों का अंतर हो न हो ।।४।।
मैं कोशिश करता हँसने की,
मुस्कान तुम्हारी कम न हो।
दुख हो कितना, लेकिन फिर भी,
ये आँख दोबारा नम न हो ।।५।।
रचनाकार -निखिल वर्मा
कार्यरत - मौसम केंद्र, लखनऊ
भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारत सरकार
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